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शेयर्स क्या होता है ?,आखिर शेयर्स हमें क्यों खरीदना चाहिए ?, शेयर्स का क्या मतलब होता है ?, हम किसी भी शेयर में अपने पैसे को कैसे इन्वेस्ट कर सकते है ?, इस प्रकार के सवाल हमारे दिमाग में अक्सर चलते रहते है , खासकर के उनके मन में जो लोग शेयर मार्केट में नए-नए कदम रखने की सोच रहे हो। दोस्तों आज के इस लेख में आप सभी को इन सभी सवालों के जवाब मिलने वाले है, कृपया अंत तक जरूर पढ़ें।
जैसा कि हम सभी को पता होगा कि शेयर्स जिसका अर्थ एक छोटा हिस्सा होता है। लेकिन आज हम किस हिस्से की बात कर रहे है ? तो आइए इसे हम एक उदाहरण के माध्यम से समझते है।
शेयर का उदहारण
मान लीजिये की रमेश नाम के एक व्यक्ति ने एक नया कारोबार शुरू किया और इसे दिन रात मेहनत कर के आगे बढ़ाया और देखते ही देखते एक साल में यह कारोबार प्रॉफिट में आ गया। अब रमेश चाहता है की अपने कारोबार को दूसरे शहरों तक फैलाना जिसके लिए उसे करोडो रुपयों की जरुरत होगी। रमेश ने कैलकुलेट किया की भारत के सभी राज्यों में अपने कारोबार को फ़ैलाने के लिए कम से कम 100 करोड़ की आवश्कता होगी। अब रमेश के पास समस्या थी कि वह इतने बड़े रकम को कहाँ से लाये इतना बड़ा रकम अपने दोस्तों और परिवार से तो मिलने से रहा। अगर वह बैंक से लोन भी लेने जाये तो एक बार में इतना बड़ा अमाउंट मिलने से रहा अगर मिल भी गया तो उसे अगले महीने से बैंक का किस्त देना होगा।
अब रमेश के पास एक ही रास्ता है, कि वे अपने कारोबार को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराये और बाजार में IPO ला कर अपनी कंपनी का कुछ हिस्सा लोगों को बेचकर अपने कारोबार के लिए पैसे जुटाए । अर्थात इसी छोटे- छोटे हिस्से को शेयर्स कहते है। और लोगों द्वारा इसी छोटे-छोटे शेयर्स के हिस्से को शेयर बाजार में एक दूसरे के साथ खरीद और बिक्री (खरीद - फरोख्त) किया जाता है।
जब भी हम किसी कंपनी का शेयर खरीदते है तो हम उस कंपनी का एक छोटा सा हिस्सा को खरीदते है, अर्थात हम जितने हिस्से को ख़रीदे है उस कंपनी के उतने शेयर का हिस्सेदार बन जाते है और जब भी कंपनी प्रॉफिट करेगी तब हमें हमारे हिस्से का प्रॉफिट मिल जायेगा। उदहारण के लिए अगर रिलायंस का 100 शेयर्स 2000 रु. प्रति शेयर के दर से खरीद रखा हो और एक वर्ष के दौरान रिलायंस के शेयर की कीमत बढ़कर 2200 रु प्रति शेयर हो जाता है, तो हमे प्रति शेयर 200 रु. का लाभ होता है, जिसे हम अपने जमापूंजी के साथ-साथ प्रॉफिट भी निकाल सकते है। और अगर हमारे द्वारा कंपनी की फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस किये बीना ही इन्वेस्ट कर दिया जाये अर्थात हमसे गलत शेयर्स का चुनाव हो जाये तो बाजार में स्टॉक का भाव बढ़ने के बजाय भाव गिर सकता है, तो ऐसी स्तिथि में हमारा नुकसान हो सकता है।
शेयर खरीदने का क्या मतलब है ?
शेयर खरीदने से तात्पर्य है, कि आप किसी कम्पनी के एक छोटे से हिस्से को खरीद कर उतने हिस्से का मालिक बन रहे है। आप किसी कंपनी का जितना ज्यादा हिस्सा खरीदते है, आप उस कंपनी का उतना बड़ा हिस्सेदार यानि उतना बड़ा मालिक बन जायेंगे। उदहारण के लिए अगर किसी कम्पनी के कुल एक करोड़ शेयर्स है, और आपने उस कंपनी के एक लाख शेयर्स को खरीद रखा है, तो आप उस कंपनी के एक प्रतिशत हिस्सेदार यानि मालिक बन जाते है। इस प्रकार शेयर का मतलब होता है, कि कंपनी का एक छोटा सा मालिक या हिस्सेदार बन जाना।
हम शेयर में कैसे इन्वेस्ट करें ?
शेयर में इन्वेस्टमेंट करने के लिए हमारे पास एक डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ती है। जिस प्रकार हम अपने पैसे को बैंकों में सुरक्षित रखने के लिए हम एक सेविंग खाते को खोलवाते है, ठीक उसी प्रकार हमें अपने शेयर्स जैसे वित्तीय सम्पत्ति को रखने के लिए एक डीमैट खाते खोलवाने की आवश्यक होती है।
मित्रों अगर आपको डीमैट खाता के बारे में नहीं पता है, तो इस ब्लॉग पोस्ट को पढ़े।
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