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सर्वप्रथम हम जिस योजना में अपने धन को निवेश कर रहे है, हमारा सबसे पहला उद्देश्य अपने धन की सुरक्षा होनी चाहिए ! ताकि जब तक हमारा मूलधन सुरक्षित नहीं होगा तब तक धन की बढ़ोतरी या फिर उससे लाभ कमाने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है ! जब भी हम अपने जमापूंजी को दूसरे के हाथों में देने से पहले एक बार हमें जरूर सोचना चाहिए ! अगर दूसरों के पास हमारा धन सुरक्षित हो तब ही हमें अपना धन सौपना चाहिए !अन्यथा सुरक्षा की दृष्टि से हमारा धन तिजौरी में ही ज्यादा सुरक्षित है लेकिन ऐसा करने से निवेश का उद्देश्य पूरा नहीं होता ! यहाँ सुरक्षा से तात्पर्य यह है कि अपने जमापूंजी का निवेश वैसे स्थान पर हो जहाँ डूबने की कोई संभावना ना रहे !
2. आय (Income)
हमारे निवेश का दूसरा उद्देश्य आय कमाने से होना चाहिए ! क्योकिं निवेश शब्द का अर्थ ही होता है कि वर्त्तमान में अपने पैसों को निवेश कर के भविष्य में लाभ कमाना ! हमारा लक्ष्य निवेश के बदले कुछ न कुछ लाभ अर्जित करना होना चाहिए ! इसके लिए हमे सुनिश्चित करना चाहिए कि हम निवेश के लिए जिस फण्ड का चुनाव कर रहें है, उससे हमारी जमापूंजी की सुरक्षा के साथ-साथ इस निवेश पर अधिक से अधिक धन अर्जित हो सके !
3. तरलता (Liquidity)
अपने निवेश की तरलता से तात्पर्य है कि जब भी हम अपने धन को निवेश करें ! तो इस धन को वापस प्राप्त करने की चाहत हो तब बिना किसी देरी या किसी बाधा के आसानी से प्राप्त हो सकें ! अर्थात इसके लिए हमें अच्छे फण्ड का चुनाव करना चाहिए, जिसमें जमापूंजी आसानी से नगदी में परिवर्तित किया जा सके !
4. पूंजी में वृद्धि (Appreciation)
निवेश का एक अति महत्वपूर्ण उद्देश्य होता है कि जब भी आप अपना निवेशित धन वापस प्राप्त करें तो वह बढ़ा हुआ प्राप्त हो ! और कम से कम इतना तो अवश्य बढ़ा होना चाहिए जितनी की मुद्रास्फ्रीति की दर से बढ़ी हुई होनी चाहिए ! अर्थात अच्छी निवेश वह माना जाता है जिसमें धन की सुरक्षा और निवेशित पूंजी में वृद्धि होती रहे !
5. जोखिम (Risk)
सभी निवेश विकल्पों में जोखिम का होना आवश्यक है, यह अलग बात है कि किसी निवेश में कम जोखिम तो किसी निवेश में अधिक जोखिम होता है ! अर्थात निवेशक को अपनी पूंजी उसी फण्ड में निवेश करना चाहिए जितनी जोखिम सहन करने की क्षमता हो !
6. नामांकन की सुविधा (Nomination)
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